ज़िन्दगी जब इम्तिहान हो जाए

जो देखे वही हैरान हो जाए
दुश्मन भी तेरा कद्रदान हो जाए
आग बन जाए गुलिस्तां यहां
गर कामिल तेरा ईमान हो जाए
इतना भी अकेला न रहना कभी
के खाली दिल का मकान हो जाए
बोझिल लगने लगती हैं ये साँसें
ज़िन्दगी जब इम्तिहान हो जाए
सुनता नहीं वो फिर किसी की
जब दिल यह बेईमान हो जाए
अल्फ़ाज़ कहो न उर्दू में कुछ
शहद सी यह जुबान हो जाए

ज़िन्दगी जब इम्तिहान हो जाए, जो देखे वही हैरान हो जाए दुश्मन भी तेरा कद्रदान हो जाए

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